Saturday, March 26, 2011

एक अरसा



एक अरसा हो गया है आज
वो अठखेलिया करे हुए
माँ के आँचल में सर रख कर सोये हुए 
वो छोटी छोटी शरारतें करे हुए

एक अरसा हो गया है आज
लम्बे लम्बे सपने देखे हुए
रसोई में यूँही खड़े माँ को देखे हुए
अपने घर में बस ऐसे ही बैठे हुए

एक अरसा हो गया है आज
पापा की बिना बात पर डांट खाए हुए
रूठ कर अपने कमरे में बैठे हुए
फिर कभी न बात करने की शिकायत किये हुए

एक अरसा हो गया है आज
यह सब माँ को बताये हुए
बस एक बार दिल खोल कर बात किये हुए
ऐसे ही उनके आस पास घुमे हुए

आज अचानक ख्याल नहीं आया यह
पहली बार अकेली नहीं बैठी मैं
पर फिर भी....
एक अरसा हो जाएगा आज


All Rights Reserved: Nidhi Jain (24/03/2011)

Any reproduction of the above material in any form without the prior written permission of the author would be treated as a criminal offense and a serious copyright infringement.