Monday, February 22, 2010

मेरा भैया





सबकी लाडली, सबकी आँखों का तारा थी मैं
घर की पहली ख़ुशी थी मैं
पता भी न चला
घर में कब एक और ख़ुशी छा गयी
तुम्हारे आते ही
एक नयी लहर आ गयी

गर्मियों की छुट्टिया होते ही
मेरा नानी के घर आ जाना
और नाना, मामा का कहना
बेटा, मोटे हो कर ही जाना

सुबह सुबह उठना
मामा का तुम्हे ब्रुश करना
और तुम्हारा छत पर खड़े हो कर
छोटे छोटे हाथो से ब्रुश को सम्हालना

चिलचिलाती धूप में
हैंडपंप का पानी फेलाना
फिर अपने पैरो से
सारे आँगन में छाप छोडना

बड़ी नानी के जामुन के पेड़ से
हर रोज़ जामुन तोडना
और गुड्माला आंटी के आते ही
इधर उधर छिप जाना

हरी नगर की छोटी सी रसोई में
मेरा हम दोनों के लिए maggi बनाना
और ज्यादा मैं लूंगी
इस बात पर नाराज़ हो जाना

रक्षाबंधन पर तुम्हे राखी बंधना
और भेंट मिलने की लालसा रखना
टीका लगवाते हुए हर समय तुम्हारा नाटक करना
और मेरा रूठ जाना
फिर तुम्हारा प्यार से मनाना
और नाक पर भी टीका लगवाना

तुम्हारा जब भी मार्केट जाना
हमेशा दो-दो चीज़े लाना
और आते ही यह कहना
एक मेरा, एक तुम्हारा, प्यारी बहना

तुम्हारे बालो का हमेशा तुम्हारे माथे पर रहना
और मेरा बार बार उन्हें पीछे करना
इस बात पर तुम्हारा झलान्ना
फिर भी मेरा हिम्मत न हारना

अपना घर छोड़ कर
मेरा सारा दिन तुम्हारे पास रहना
और घंटो घंटो तक
मारियो का विडियो गेम खेलना

हर साल, मेरे जन्मदिन पर
तुम्हारा एक कार्ड मिलना
और मेरा हमेशा ललायित होकर
तुम्हारा दिया हुआ गिफ्ट देखना

बिना बात के लड़ना
और एक दुसरे के बिना रह भी न पाना
शायद यही होता है भाई बहेन का रिश्ता
दूर रह कर भी, एक होना

आज भी याद आती है
उन कभी न वापिस आने वालो दिनों की
दिल को छू जाती है
वो बातें उन अनमोल पलो की
काश तुम दूर न जाते इतना
ताकि समेट कर रख पाती 
वो सहजता उन खिलखिलाहटो की







All Rights Reserved: Nidhi Jain (21/02/2010)

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3 comments:

  1. mast hai yaar...saare purane din yaad aagye!!...specially wo hari nagar waale din!!...maggi..mario..gifts..loved it ...

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  2. very well written.... specially harinagar wala stuff... gurmala aunty and all :)

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