देखते ही गदगद हो उठता था दिल
हलकी लहरों के साथ तैरती
वो छोटी सफ़ेद कश्तियाँ
तले में भले ही हों अनदेखी गहराइयाँ
मदमस्त चलती जाती हैं
बेफिक्र, मानो मुस्कुराते हुए
वो छोटी सफ़ेद कश्तियाँ
मेरे हाथों से बनी वो कश्तियाँ
डगमगाती, ठिठक जाती
लहरों के साथ फिर भी चलती जाती
वो छोटी सफ़ेद कश्तियाँ
घने समुद्र के बीच लहरों में हू मैं
यूँ तो यह कश्ती है उनमे से ही एक
पर दूर से दिखती हैं रंगीन
वो छोटी सफ़ेद कश्तियाँ
पानी के रोद्र रूप के बीच में
एक किरण कही से आ गयी
उजाले में दिखीं, सफ़ेद ही थीं
वो छोटी सफ़ेद कश्तियाँ
All Rights Reserved: Nidhi Jain (27/08/2011)
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keep it up.....!!!!.....
ReplyDeletethnx khera :)
ReplyDeleteb'ful !!
ReplyDeletenice one Nidhi..
ReplyDeletethank you readers :)
ReplyDeleteLOL
ReplyDeleteHi Nidhi...like your poems very much heart touching...i also write in English...have a look
ReplyDeletehttp://aninnocentlove.blogspot.com/